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شنبه 3 تير 1391برچسب:, :: 12:24 :: نويسنده : احمد رضا
از قول من و تو قصه ها مي گويد آن چيست كه بي زبان سخن مي گويد
بي پرده ز كار اين و آن مي گويد با آن كه در او نيست نه دندان و نه لب --------------------------------------------------------------------------------------- بي هدف ره مي برد با قلب خون چيست آن ، كز چشمه اي آيد برون مي شود از سنگ سختي سر نگون مدتي بر دشت خشكي چون برفت ------------------------------------------------------------------------------------------- بيرون و درون شهر جايي دارد آن چيست كه ارغوان قبايي دارد مانند دم موش پايي دارد. گرد است و مدور است و تاجش بر سر ----------------------------------------------------------------------------- صد پاره تنش ، ولي ز يك پايه نگون آن چيست كه روز مي نمايد شبگون همچون دل عاشقان فرو ريزد خون چون دست به او نهي ز اندازه فزون ------------------------------------------------------------------------------------------- اندر وسطش كشتي قير اندوده جامي است در او آب خوش و آسوده بر جاي نشسته و جهان پيموده كشتي باني در آن به رنگ دوده ------------------------------------------------------------------------------------------- خود جامه همي بافد و او باشد عريان آن چيست كه خودريسد و خود بافد جامه ------------------------------------------------------------------------------------------- پوست در پوست گرد يكديگر چيست آن گرد گنبد بي در رخش از آب ديده گردد تر هر كه بگشايد اين معما را ------------------------------------------------------------------------------------------- گاهي حلال و طيب ، گاهي حرام مطلق آن چيست گرد و كوچك ، آويز و معلق ------------------------------------------------------------------------------------------- گرد است و دراز و در ندارد آن چيست كه پا و سر ندارد جز نام دو جانور ندارد اندر شكمش ستارگانند ------------------------------------------------------------------------------------------- اندام ظريف چون صنوبر دارد آن چيست قباي زرد در بر دارد تلخ است ولي طعمي چو شكر دارد زرد است و معطر آيد به مشام ------------------------------------------------------------------------------------------- با هزاران سوار مي گرديد چيست آن پادشاه هفت اقليم آمد و فوج شاه در پيچيد ناگهان يك سوار زرد نقاب ------------------------------------------------------------------------------------------- چار پاست ، نه كه گاو است سخت است , نه كه سنگ بيابان گرد است ، نه كه مرد است تخم ريز است ، نه كه مرغ است ------------------------------------------------------------------------------------------- كليد آهنين قفلش گشايد كدام است گنبدي كه در ندارد ز هر بچه دو صد مادر بزايد هزاران بچه دارد در شكم بيش ------------------------------------------------------------------------------------------- كه ندارد به آشيانه قرار چيست آن مرغ آتشين منقار و قنا عذاب النار ؟ شب و روز اندر آب مي گويد ------------------------------------------------------------------------------------------- سرخ و سبز و سپيد پوشيده چيست آن لعبت پسنديده با دو صد احترام خوابيده ؟ در ميان دو كاسه چوبين ------------------------------------------------------------------------------------------- رخت سيه و سبز كلاهي دارد آن چيست كه در برگ پناهي دارد من در عجبم كاين چه گناهي دارد؟ پوستش بكنند و سينه اش چاك كنند ------------------------------------------------------------------------------------------- گر آب تني كني، تنش آب شود آن چيست كه در سه و قت كمياب شود گر سرد شود ، زندگي از سر گيرد؟ گر گرم شود گريه كند تا ميرد ------------------------------------------------------------------------------------------- از خمي هر دو سر به هم دارد اين چه باشد كه پشت خم دارد صد مني را به پشت بر دارد ؟ وزن او نيست خود به صد مثقال ------------------------------------------------------------------------------------------- پرنيان پيكر و آهن دل و فولاد پر است ؟ آن چه مرغيست تا اوج هوا رهسپراست ------------------------------------------------------------------------------------------- كاندرين صحرا بديدم يك عجايب جانور يك معما از تو پرسم اي حكيم پر هنر پاي او مانند اره ، شير سينه، اسب سر مور چشم ومار دم كركس پرو عقرب شكم ------------------------------------------------------------------------------------------- نيم پر شد پر تهي ، يعني چه چيز ؟ يك معما با تو دارم، اي حكيم با تميز ------------------------------------------------------------------------------------------- مرغ آتشخوارم و آتش پر و بال من است بلبل اين باغم واين باغ بستان من است هر كه حل كرد اين معما پيرو استاد من است استخوانم نقره و اندر شكم دارم طلا ------------------------------------------------------------------------------------------- كه آتش در ميان آب مي گشت عجايب صنعتي ديدم در اين دشت ------------------------------------------------------------------------------------------- دو اسم زنده دارد از دو حيوان عجايب لعبتي زرد است و بي جان ------------------------------------------------------------------------------------------- رعنا پسران شوخ و دلكش دارد شيراز پري رخان مهوش دارد بنگر كه دلم از تو چه خواهش دارد از هر سر مصرعي حروفي بردار ------------------------------------------------------------------------------------------- نه در دارد نه ديوار و حصاري عجايب گنبد والا تباري درونش هست لشكر بيشماري بنازم قدرت پروردگاري ------------------------------------------------------------------------------------------- پريرويان به بستان تازه ديدم عجايب صنعت ناديده ديدم به يك محمل دو صد دردانه ديدم! چو دست بردم گل از باغش بچينم ------------------------------------------------------------------------------------------- همه چادر سفيد سينه بلوري از آن بالا مياد يك دسته حوري ------------------------------------------------------------------------------------------- چون به سن سي رسد بچه شود! دختري چارده ساله بالغ شود ------------------------------------------------------------------------------------------- پرش سيب و گلابي دستمال آبي آبي ------------------------------------------------------------------------------------------- چشمه آبش را ببين شط فراتش را ببين گنبد سرخ چمني ،توش گل سرخ يمني ------------------------------------------------------------------------------------------- لب تا لب آن ميان زنجير است در خانه ما درخت انجير است آبش بخورم كه گوئيا چون شير است! خنجر بكشم ميانه را پاره كنم ------------------------------------------------------------------------------------------- اهل حقه تمام سر بسته حقه اي ديده ايم در بسته صاف و رنگين به يكديگر بسته! همه ياقوت رنگ و لعل صفت ------------------------------------------------------------------------------------------- داس ظفرم چو كشت دولت دروند من خود كج و راستان زمن راست روند از هر طرفي زمزمه زه شنوند! پشت از پي خدمت چه كنم خم كه و مه ------------------------------------------------------------------------------------------- زنده نبود تا نكني زاتش بريان چيزي چه بود مرده به يك كنج نهاده ------------------------------------------------------------------------------------------- سرش تا نبري نگويد خبر ؟ چه چيز است ، مرغي است بي بال و پر ------------------------------------------------------------------------------------------- صد پاره تنش بود ولي به يك پاي نگون آن چيست كه روز مي نمايد شبگون همچون عاشق زچشم او ريزد خون؟ چون ناز كني تنش ز اندازه فزون ------------------------------------------------------------------------------------------- به شباهت نظير يكدگر است آن چه باشد كه زرد مثل زر است معدنش در ميان دشت و در است ؟ قيمت آن بسي گران نبود ------------------------------------------------------------------------------------------- پاي او غرق در دل خاك است آن چه باشد كه سر بر افلاك است گوشت شيرين و استخوان چاك است ؟ رنگ او سرخ و زرد و گاه سياه ------------------------------------------------------------------------------------------- اندر صف مردان خدا جا دارد آن چيست كه جا به كوه و صحرا دارد سيصد سر و ده شكم دو صد پا دارد از هيبت او جمله بلرزد عالم ------------------------------------------------------------------------------------------- مشاطه زلف دلبران است آن چيست كه پيك عاشقان است رقص چمن از نواي آن است ؟ خنديدن گل ز بوسه اوست ------------------------------------------------------------------------------------------- روز و شب گردد و قدم نزند چيست گردنده يي كه دم نزند برف بارد و ليك دم نزند ؟ نعره او به سان شير بود ------------------------------------------------------------------------------------------- اهل حقه ، تمام سر بسته حقه اي ديده ايم در بسته صاف و رنگين به يكديگر بسته! همه ياقوت رنگ و لعل صفت ------------------------------------------------------------------------------------------- وز آتش سرخش تاج و افسر دارد اين چيست كه تاج نقره بر سر دارد بر گردنش از هر طرفي زنجير است ؟ نا كرده گناه روي او چون قير است ------------------------------------------------------------------------------------------- جفتند ولي زهم جدايند يك جفت كبوترند ابلق از كالبدشان برون نيايند پرواز كنند گرد عالم ------------------------------------------------------------------------------------------- برسر هر شاخ او سه دختر افسونگر است اژدري ديدم كه او چارشاخ اندر سراست هر پسر را بيس و چار فرزند ديگر درخور است برسر هردختري بنشسته باشد سي پسر ------------------------------------------------------------------------------------------- اندر كف مهوشان موزون گردد آن چيست كز او حسن بت افزون گردد چون آب بدو رسد همه خون گردد سبز است تنش تا نرسد آب بدو ------------------------------------------------------------------------------------------- كهربا پيكر و آدم دم و فولاد سر است؟ آن چيست كه برسينه خصمش گذرست ------------------------------------------------------------------------------------------- بار دوم كه زاد جان آورد! بار اول كه زاد بي جان بود ------------------------------------------------------------------------------------------- در يك گلاب پاش دو رنگ گلاب چيست ؟ دارم سوال خواجه بفرما جواب چيست آتش بدو رسيدن و بستن ، جواب چيست؟ سرماي زمهرير كه يخ بست او نبست
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